सांसों का मोल -26-Feb-2022
साँसों का मोल
कितना खौफ़नाक है यह दृश्य,
चारों तरफ चिताये है जल रही,
साँसों का मोल है लगाया जा रहा,
कोई कोरोना से मरता,
तो कोई भूख से मरता,
सारी यातायात है ठप,
बाजारों में है मखिया उड़ते,
इंसान है पिंजरे में बंद,
पंक्षीया खुले आसमान में घूमते,
चीखती है लाशें हर जगह,
कहाँ हो हे!भगवान,
इस जग को इस विष से मुक्त करो,
एक वायरस ने किया पुरे विश्व का विनाश,
फस चुकी है दुनियाँ घर की चार दीवारी में,
बाहर घूम रहा है वायरस,
एक -एक इंसान की साँसों में,
बेड़िया लग चुकी है,
पैरों की आवाज़ाही में,
सुनते है ईश्वर कहाँ,
अब किसी की प्रार्थना,
हर रोज गिर रही है लाशें,
हर रोज है कोई अपने खोते,
कौन गिनता है इनके आंसू,
चारों तरफ है साँसों का लगाया जा रहा।
प्रिया पाण्डेय "रौशनी "
Shrishti pandey
27-Feb-2022 05:49 PM
Nice
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Lotus🙂
27-Feb-2022 12:08 PM
बहुत खूब
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Abhinav ji
27-Feb-2022 09:15 AM
Nice
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